नामरामायण
॥ बालकाण्डः ॥
शुद्धब्रह्मपरात्पर राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो शुद्ध ब्रह्म स्वरुप और श्रेष्ठों से भी श्रेष्ठ है |
कालात्मकपरमेश्वर राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ सब के काल(गति) के स्वामी है और परमेश्वर कहे जाते है |
शेषतल्पसुखनिद्रित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो शेषनाग की शैया पर सुख से सोये हुए है |
ब्रह्माद्यमरप्रार्थित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्हे ब्रह्मा सहित अन्य देवताओं ने अवतार लेने के लिए प्रार्थना की थी |
चण्डकिरणकुलमण्डन राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनसे सूर्यवंश शोभायमान है |
श्रीमद्दशरथनन्दन राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो दशरथ के नंदन (पुत्र) है |
कौसल्यासुखवर्धन राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो कौशल्या के सुख की वृद्धि करते है |
विश्वामित्रप्रियधन राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ ऋषि विश्वामित्र का सबसे प्रिय धन/सम्पदा है |
घोरताटकाघातक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने घोर राक्षसी ताटका का वध किया था |
मारीचादिनिपातक राम । १०
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो मारीच आदि राक्षसों के पतन का कारण थे |
कौशिकमखसंरक्षक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने ऋषि विश्वामित्र के यज्ञका रक्षण किया था |
श्रीमदहल्योद्धारक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने अहल्या का उद्धार किया था |
गौतममुनिसम्पूजित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनकी गौतम ऋषि पूजा करते है |
सुरमुनिवरगणसंस्तुत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनकी देवों और ऋषियां महिमा गाते है |
नाविकधावितमृदुपद राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनके मृदु चरणों/पदों को नाविकने पखारा (धावित/धोया) था |
मिथिलापुरजनमोहक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने मिथिला के पुरजनों का मन मोह लिया था |
विदेहमानसरञ्जक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने विदेह (राजा जनक) का मान बढ़ाया था |
त्र्यम्बककार्मुकभञ्जक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने त्रि-नेत्र धारी शिव का धनुष तोडा था |
सीतार्पितवरमालिक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने सीता द्वारा अर्पित वरमाला पहनी थी |
कृतवैवाहिककौतुक राम । २०
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनके विवाह के लिए उत्सव सा आयोजन हुआ था |
भार्गवदर्पविनाशक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने परशुराम के अहंकार (दर्प) का विनाश किया था |
श्रीमदयोध्यापालक राम ॥
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो अयोध्या के पालनहार थे |
राम राम जय राजा राम ।
राम राम जय सीता राम ॥
॥ अयोध्याकाण्डः ॥
अगणितगुणगणभूषित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो अगणित गुणों से सुशोभित है |
अवनीतनयाकामित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनको पाने को धरती(अवनि) की पुत्री(सीताजी) इच्छुक थी |
राकाचन्द्रसमानन राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनका मुख पूर्ण चंद्र के समान है |
पितृवाक्याश्रितकानन राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो अपने पिता के शब्दों को सुनकर वन की आश्रय में चले गए |
प्रियगुहविनिवेदितपद राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनके चरणोमें गुह ने अपने आप को प्रिय सेवक के रूप में समर्पित किया |
तत्क्षालितनिजमृदुपद राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनके मृदु पदों को गुह ने पखारा था |
भरद्वाजमुखानन्दक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो ऋषि भरद्वाज के मुख पर आनंद का कारण थे |
चित्रकूटाद्रिनिकेतन राम । ३०
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने चित्रकूट पर्वत पर वास किया था |
दशरथसन्ततचिन्तित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने वनवास के दौरान सतत पिता दशरथ की चिंता की थी |
कैकेयीतनयार्थित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्हे कैकेयी के पुत्र ने वापस लौटने के लिए प्रार्थना की थी |
विरचितनिजपितृकर्मक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने अपने पिता के अंतिम संस्कार विधि की थी |
भरतार्पितनिजपादुक राम ॥
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने अपनी पादुका भारत को अर्पण की थी |
राम राम जय राजा राम ।
राम राम जय सीता राम ॥
॥ अरण्यकाण्डः ॥
दण्डकावनजनपावन राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने असुरों का संहार कर के दण्डक वन को पवित्र किया था |
दुष्टविराधविनाशन राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने दुष्ट विराध का विनाश किया था |
शरभङ्गसुतीक्ष्णार्चित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनको ऋषि शरभंगा और सुतीक्ष्ण पूजते थे |
अगस्त्यानुग्रहवर्दित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्हे अगस्त्य ऋषि का अनुग्रह (आशीर्वाद) प्राप्त था |
गृध्राधिपसंसेवित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनकी गिद्धों के राजा (जटायु) सेवा करते थे |
पञ्चवटीतटसुस्थित राम । ४०
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो नदी तट पर पंचवटी में निवास करते थे |
शूर्पणखार्त्तिविधायक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने शूर्पणखा के बद इरादों के चलते उस पर वार का आदेश दिया था |
खरदूषणमुखसूदक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने खर और दूषण के मुखों को नष्ट किया था |
सीताप्रियहरिणानुग राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो सीता को प्रिय हरण के पीछे गए थे |
मारीचार्तिकृताशुग राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने अपने बाण से मारीच को उसके कृत्यों के लिए पीड़ा दी थी |
विनष्टसीतान्वेषक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने खोई सीता को ढूंढने के लिए चाव(जोर देकर) से प्रयास किया था |
गृध्राधिपगतिदायक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने गिद्धों के राजा (जटायु) को मोक्ष दिया था |
शबरीदत्तफलाशन राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने शबरी द्वारा अर्पण फल खाए थे |
कबन्धबाहुच्छेदन राम ॥
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिहोने कबंध की भुजाओं को काट दिया था |
राम राम जय राजा राम ।
राम राम जय सीता राम ॥
॥ किष्किन्धाकाण्डः ॥
हनुमत्सेवितनिजपद राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनके चरणों में हनुमंत सदैव सेवा के लिए तत्पर रहते है |
नतसुग्रीवाभीष्टद राम । ५०
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने सुग्रीव के शरण में आने पर उसकी इच्छा पूरी की थी |
गर्वितवालिसंहारक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ वाली के गर्व का संहार किया था |
वानरदूतप्रेषक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने वानर को दूत बनाकर भेजा था |
हितकरलक्ष्मणसंयुत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनका हित चाहने वाले साथ लक्ष्मण हमेंशा उनके साथ रहते थे |
राम राम जय राजा राम ।
राम राम जय सीता राम ।
॥ सुन्दरकाण्डः ॥
कपिवरसन्ततसंस्मृत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनका वानर श्रेष्ठ हनुमान सतत स्मरण करते है |
तद्गतिविघ्नध्वंसक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने हनुमान के मार्ग में आनेवाले विघ्नों को ध्वंस किया था |
सीताप्राणाधारक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो सीता के (बंधक समय में) प्राण का आधार थे |
दुष्टदशाननदूषित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने दुष्ट दशानन (रावण) की भर्त्सना(निंदा) की थी |
शिष्टहनूमद्भूषित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने बुद्धिमान और प्रसिद्ध हनुमान की प्रशंसा की थी |
सीतावेदितकाकावन राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने वन में घटित काकासुर का वृतांत जो सीताजी ने हनुमान जी बताया था वो हनुमान जी से सुना |
कृतचूडामणिदर्शन राम । ६०
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने हनुमान द्वारा लाई गई सीताजी की चूड़ामणि का दर्शन किया |
कपिवरवचनाश्वासित राम ॥
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनको वानर श्रेष्ठ हनुमान जी के वचनों से आश्वासन (सीताजी के कुशल होने का ) मिला |
राम राम जय राजा राम ।
राम राम जय सीता राम ॥
॥ युद्धकाण्डः ॥
रावणनिधनप्रस्थित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने रावण के अंत(निधन) के लिए प्रस्थान किया |
वानरसैन्यसमावृत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनकी सेनामें वानरभी सम्मिलित थे |
शोषितशरदीशार्थित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने सागर के देव को मार्ग देने की बिनती की थी अन्यथा सूखा देने का बात कही थी |
विभीष्णाभयदायक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने विभीषण को अपनी शरण देकर अभय होने का आशीर्वाद दिया था |
पर्वतसेतुनिबन्धक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने पर्वत की शिलाओं से सागर पर सेतु बनवाया था |
कुम्भकर्णशिरश्छेदक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने युद्ध में कुम्भकर्ण का शिरच्छेद किया था |
राक्षससङ्घविमर्धक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने राक्षसों की सेनाको कुचल दिया था |
अहिमहिरावणचारण राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने महिरावण को पाताल में धंसवा (हनुमान जी द्वारा) दिया था |
संहृतदशमुखरावण राम । ७०
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने दशमुखी रावण का संहार किया था |
विधिभवमुखसुरसंस्तुत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनकी ब्रह्मा, शिव और अन्य देवता प्रशंसा करते थे |
खःस्थितदशरथवीक्षित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनके अलौकिक कार्यों को दशरथने स्वर्ग से देखा था |
सीतादर्शनमोदित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो सीताजी के दर्शन से (युद्ध के पश्चात ) प्रसन्न हुए थे |
अभिषिक्तविभीषणनत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनका विभीषणने ( अपने राज्याभिषेक पश्चात ) भक्तिभाव से अभिवादन किया था |
पुष्पकयानारोहण राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने (अयोध्यागमन के लिए ) पुष्पक विमान में आरोहण किया था |
भरद्वाजादिनिषेवण राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने भरद्वाज एवं अन्य ऋषियों से भेंट की थी |
भरतप्राणप्रियकर राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने (वापस आकर) अनुज भरत के जीवन की खुशियां बढ़ाई थी |
साकेतपुरीभूषण राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने (वापस आकर) अयोध्या की शोभा बढ़ाई थी |
सकलस्वीयसमानत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो सभी के साथ अपनेपन और समानभाव से व्यवहार करते थे |
रत्नलसत्पीठास्थित राम । ८०
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो रत्नजड़ित सिंहासन पर आरूढ़ थे |
पट्टाभिषेकालंकृत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो अपने राज्यभिषेक के समय मुकुट से अलंकृत थे |
पार्थिवकुलसम्मानित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने राज्याभिषेक में उपस्थित अन्य राजाओं को उचित सन्मान दिया था |
विभीषणार्पितरङ्गक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने राज्याभिषेक के समय श्री रंगनाथ की मूर्ति विभीषण को भेंट दी थी |
कीशकुलानुग्रहकर राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिहोने अपने सूर्य वंश पर अपना अनुग्रह बनाए रखा |
सकलजीवसंरक्षक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो सभी जीवों के संरक्षक है |
समस्तलोकोद्धारक राम ॥
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो सभी लोकों (पृथ्वी लोक, पाताल लोक, स्वर्ग लोक, गौ लोक आदि) को धारण (एवं पालन) करते है |
राम राम जय राजा राम ।
राम राम जय सीता राम ॥
॥ उत्तरकाण्डः ॥
आगत मुनिगण संस्तुत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनकी भेंट के लिए आनेवाले सभी मुनिगण प्रशंसा करते थे |
विश्रुतदशकण्ठोद्भव राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनकी गाथाए अनेक कंठो से दशों दिशाओं में लोग अनंतकाल तक सुनेंगे |
सीतालिङ्गननिर्वृत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो सीताजी के आलिंगन से आनंदित थे |
नीतिसुरक्षितजनपद राम । ९०
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने अपने राज्य को धर्म से चलकर सुरक्षित किया था |
विपिनत्याजितजनकज राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने जनकपुत्री (सीता) का जंगल में त्याग किया था |
कारितलवणासुरवध राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने (अनुज शत्रुघ्न द्वारा) असुर लवणासुर का वध करवाया था |
स्वर्गतशम्बुक संस्तुत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनकी स्वर्ग जा रहे शम्बूक ने प्रशंसा की थी |
स्वतनयकुशलवनन्दित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने अपने पुत्रो लव और कुश को आनंदित किया था |
अश्वमेधक्रतुदीक्षित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने अश्वमेध यज्ञ शुरू करवाया था |
कालावेदितसुरपद राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनको स्वयं काल (यम) ने उनके दिव्य गमन के लिए सूचित किया था |
आयोध्यकजनमुक्तित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने अयोध्यावासियों को मुक्ति (मोक्ष) प्रदान किया था |
विधिमुखविभुदानन्दक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो ब्रह्मा एवं अन्य देवोंके मुखपर प्रसन्नता का कारण बने थे |
तेजोमयनिजरूपक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो प्रस्थान से पहले अपने दिव्य तेजोमय रूप में प्रगट हुए थे |
संसृतिबन्धविमोचक राम । १००
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो जीव को संसार के बंधनो से मुक्त करते है |
धर्मस्थापनतत्पर राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो हमेंशा धर्म स्थापना के लिए तत्पर रहते है |
भक्तिपरायणमुक्तिद राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो उनकी भक्ति में समर्पित (परायण) को मुक्ति प्रदान करते है |
सर्वचराचरपालक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो सभी चर एवं अचर जीवों के पालक है |
सर्वभवामयवारक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो अपने भक्तों को सभी सांसारिक हानियों से बचा के रखते है |
वैकुण्ठालयसंस्थित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो (अपने प्रस्थान के पश्चात) वैकुण्ठ में विराजमान है |
नित्यानन्दपदस्थित राम ॥
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ (अपने प्रस्थान के पश्चात) जो अपने मूल शाश्वत परम आनंद की स्थिति में स्थापित है |
राम राम जय राजा राम ॥
राम राम जय सीता राम ॥ १०८
इति श्रीलक्ष्मणाचार्यविरचितं नामरामायणं सम्पूर्णम् ।