॥ श्रीरामरक्षास्तोत्रम् ॥
श्रीगणेशायनम: ।
अस्य श्रीरामरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य ।
बुधकौशिक ऋषि: ।
श्रीसीतारामचंद्रोदेवता ।
अनुष्टुप् छन्द: । सीता शक्ति: ।
श्रीमद्हनुमान् कीलकम् ।
श्रीसीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे जपे विनियोग: ॥
अर्थ: — इस राम रक्षा स्तोत्र मंत्र के रचयिता बुध कौशिक ऋषि हैं, सीता और
रामचंद्र देवता हैं, अनुष्टुप छंद हैं, सीता शक्ति हैं, हनुमान जी कीलक है
तथा श्री रामचंद्र जी की प्रसन्नता के लिए राम रक्षा स्तोत्र के जप में
विनियोग किया जाता हैं |
॥ अथ ध्यानम् ॥
ध्यायेदाजानुबाहुं धृतशरधनुषं बद्दद्पद्मासनस्थं ।
पीतं वासोवसानं नवकमलदलस्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम् ॥
वामाङ्कारूढसीता मुखकमलमिलल्लोचनं नीरदाभं ।
नानालङ्कारदीप्तं दधतमुरुजटामण्डनं रामचंद्रम् ॥
ध्यान धरिए — जो धनुष-बाण धारण किए हुए हैं,बद्द पद्मासन की मुद्रा में विराजमान हैं और
पीतांबर पहने हुए हैं, जिनके आलोकित नेत्र नए कमल दल के समान स्पर्धा करते
हैं, जो बाएँ ओर स्थित सीताजी के मुख कमल से मिले हुए हैं- उन आजानु बाहु,
मेघश्याम,विभिन्न अलंकारों से विभूषित तथा जटाधारी श्रीराम का ध्यान करें |
॥ इति ध्यानम् ॥
चरितं रघुनाथस्य शतकोटिप्रविस्तरम् ।
एकैकमक्षरं पुंसां महापातकनाशनम् ॥१॥
श्री रघुनाथजी का चरित्र सौ करोड़ विस्तार वाला हैं | उसका एक-एक अक्षर महापातकों को नष्ट करने वाला है |
ध्यात्वा नीलोत्पलश्यामं रामं राजीवलोचनम् ।
जानकीलक्ष्मणॊपेतं जटामुकुटमण्डितम् ॥२॥
नीले कमल के श्याम वर्ण वाले, कमलनेत्र वाले , जटाओं के मुकुट से सुशोभित, जानकी तथा लक्ष्मण सहित ऐसे भगवान् श्री राम का स्मरण करके,
सासितूणधनुर्बाणपाणिं नक्तं चरान्तकम् ।
स्वलीलया जगत्त्रातुमाविर्भूतमजं विभुम् ॥३॥
जो अजन्मा एवं सर्वव्यापक, हाथों में खड्ग, तुणीर, धनुष-बाण धारण किए
राक्षसों के संहार तथा अपनी लीलाओं से जगत रक्षा हेतु अवतीर्ण श्रीराम का
स्मरण करके,
रामरक्षां पठॆत्प्राज्ञ: पापघ्नीं सर्वकामदाम् ।
शिरो मे राघव: पातु भालं दशरथात्मज: ॥४॥
मैं सर्वकामप्रद और पापों को नष्ट करने वाले राम रक्षा स्तोत्र का पाठ
करता हूँ | राघव मेरे सिर की और दशरथ के पुत्र मेरे ललाट की रक्षा करें |
कौसल्येयो दृशौ पातु विश्वामित्रप्रिय: श्रुती ।
घ्राणं पातु मखत्राता मुखं सौमित्रिवत्सल: ॥५॥
कौशल्या नंदन मेरे नेत्रों की, विश्वामित्र के प्रिय मेरे कानों की,
यज्ञरक्षक मेरे घ्राण की और सुमित्रा के वत्सल मेरे मुख की रक्षा करें |
जिव्हां विद्दानिधि: पातु कण्ठं भरतवंदित: ।
स्कन्धौ दिव्यायुध: पातु भुजौ भग्नेशकार्मुक: ॥६॥
मेरी जिह्वा की विधानिधि रक्षा करें, कंठ की भरत-वंदित, कंधों की दिव्यायुध
और भुजाओं की महादेवजी का धनुष तोड़ने वाले भगवान् श्रीराम रक्षा करें |
करौ सीतपति: पातु हृदयं जामदग्न्यजित् ।
मध्यं पातु खरध्वंसी नाभिं जाम्बवदाश्रय: ॥७॥
मेरे हाथों की सीता पति श्रीराम रक्षा करें, हृदय की जमदग्नि ऋषि के पुत्र (परशुराम) को जीतने
वाले, मध्य भाग की खर (नाम के राक्षस) के वधकर्ता और नाभि की जांबवान के आश्रयदाता रक्षा
करें |
सुग्रीवेश: कटी पातु सक्थिनी हनुमत्प्रभु: ।
ऊरू रघुत्तम: पातु रक्ष:कुलविनाशकृत् ॥८॥
मेरे कमर की सुग्रीव के स्वामी, हडियों की हनुमान के प्रभु और रानों की राक्षस कुल का विनाश करने वाले रघुश्रेष्ठ रक्षा करें |
जानुनी सेतुकृत्पातु जङ्घे दशमुखान्तक: ।
पादौ बिभीषणश्रीद: पातु रामोSखिलं वपु: ॥९॥
मेरे जानुओं की सेतुकृत, जंघाओं की दशानन वधकर्ता, चरणों की विभीषण को
ऐश्वर्य प्रदान करने वाले और सम्पूर्ण शरीर की श्रीराम रक्षा करें |
एतां रामबलोपेतां रक्षां य: सुकृती पठॆत् ।
स चिरायु: सुखी पुत्री विजयी विनयी भवेत् ॥१०॥
शुभ कार्य करने वाला जो भक्त भक्ति एवं श्रद्धा के साथ रामबल से संयुक्त
होकर इस स्तोत्र का पाठ करता हैं, वह दीर्घायु, सुखी, पुत्रवान, विजयी और
विनयशील हो जाता हैं |
पातालभूतलव्योम चारिणश्छद्मचारिण: ।
न द्र्ष्टुमपि शक्तास्ते रक्षितं रामनामभि: ॥११॥
जो जीव पाताल, पृथ्वी और आकाश में विचरते रहते हैं अथवा छद्दम वेश में
घूमते रहते हैं , वे राम नामों से सुरक्षित मनुष्य को देख भी नहीं पाते |
रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरन् ।
नरो न लिप्यते पापै भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति ॥१२॥
राम, रामभद्र तथा रामचंद्र आदि नामों का स्मरण करने वाला रामभक्त पापों से
लिप्त नहीं होता. इतना ही नहीं, वह अवश्य ही भोग और मोक्ष दोनों को प्राप्त
करता है |
जगज्जेत्रैकमन्त्रेण रामनाम्नाभिरक्षितम् ।
य: कण्ठे धारयेत्तस्य करस्था: सर्वसिद्द्दय: ॥१३॥
जो संसार पर विजय करने वाले मंत्र राम-नाम से सुरक्षित इस स्तोत्र को
कंठस्थ कर लेता हैं, उसे सम्पूर्ण सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं |
वज्रपंजरनामेदं यो रामकवचं स्मरेत् ।
अव्याहताज्ञ: सर्वत्र लभते जयमंगलम् ॥१४॥
जो मनुष्य वज्रपंजर नामक इस राम कवच का स्मरण करता हैं, उसकी आज्ञा का कहीं
भी उल्लंघन नहीं होता तथा उसे सदैव विजय और मंगल की ही प्राप्ति होती हैं |
आदिष्टवान्यथा स्वप्ने रामरक्षामिमां हर: ।
तथा लिखितवान् प्रात: प्रबुद्धो बुधकौशिक: ॥१५॥
भगवान् शंकर ने स्वप्न में इस रामरक्षा स्तोत्र का आदेश बुध कौशिक ऋषि को
दिया था, उन्होंने प्रातः काल जागने पर उसे वैसा ही लिख दिया |
आराम: कल्पवृक्षाणां विराम: सकलापदाम् ।
अभिरामस्त्रिलोकानां राम: श्रीमान् स न: प्रभु: ॥१६॥
जो कल्प वृक्षों के बगीचे के समान विश्राम देने वाले हैं, जो समस्त
विपत्तियों को दूर करने वाले हैं (विराम माने थमा देना, किसको थमा देना/दूर कर देना ? सकलापदाम = सकल आपदा = सारी विपत्तियों को) और जो तीनो लोकों में सुंदर (अभिराम + स्+ त्रिलोकानाम) हैं, वही
श्रीमान राम हमारे प्रभु हैं |
तरुणौ रूपसंपन्नौ सुकुमारौ महाबलौ ।
पुण्डरीकविशालाक्षौ चीरकृष्णाजिनाम्बरौ ॥१७॥
जो युवा,सुन्दर, सुकुमार,महाबली और कमल (पुण्डरीक) के समान विशाल नेत्रों वाले हैं, मुनियों की तरह वस्त्र एवं काले मृग का चर्म धारण करते हैं |
फलमूलशिनौ दान्तौ तापसौ ब्रह्मचारिणौ ।
पुत्रौ दशरथस्यैतौ भ्रातरौ रामलक्ष्मणौ ॥१८॥
जो फल और कंद का आहार ग्रहण करते हैं, जो संयमी , तपस्वी एवं ब्रह्रमचारी
हैं , वे दशरथ के पुत्र राम और लक्ष्मण दोनों भाई हमारी रक्षा करें |
शरण्यौ सर्वसत्वानां श्रेष्ठौ सर्वधनुष्मताम् ।
रक्ष:कुलनिहन्तारौ त्रायेतां नो रघुत्तमौ ॥१९॥
ऐसे महाबली – रघुश्रेष्ठ मर्यादा पुरूषोतम समस्त प्राणियों के शरणदाता, सभी
धनुर्धारियों में श्रेष्ठ और राक्षसों के कुलों का समूल नाश करने में
समर्थ हमारा त्राण करें |
आत्तसज्जधनुषा विषुस्पृशा वक्षया शुगनिषङ्ग सङिगनौ ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणा वग्रत: पथि सदैव गच्छताम् ॥२०॥
संघान किए धनुष धारण किए, बाण का स्पर्श कर रहे, अक्षय बाणों से युक्त
तुणीर लिए हुए राम और लक्ष्मण मेरी रक्षा करने के लिए मेरे आगे चलें |
संनद्ध: कवची खड्गी चापबाणधरो युवा ।
गच्छन्मनोरथोSस्माकं राम: पातु सलक्ष्मण: ॥२१॥
हमेशा तत्पर, कवचधारी, हाथ में खडग, धनुष-बाण तथा युवावस्था वाले भगवान् राम लक्ष्मण सहित आगे-आगे चलकर हमारी रक्षा करें |
रामो दाशरथि: शूरो लक्ष्मणानुचरो बली ।
काकुत्स्थ: पुरुष: पूर्ण: कौसल्येयो रघुत्तम: ॥२२॥
भगवान् का कथन है की श्रीराम, दाशरथी, शूर, लक्ष्मनाचुर, बली, काकुत्स्थ , पुरुष, पूर्ण, कौसल्येय, रघुतम,
भगवान् का कथन है की श्रीराम, दाशरथी, शूर, लक्ष्मनाचुर, बली, काकुत्स्थ , पुरुष, पूर्ण, कौसल्येय, रघुतम,
वेदान्तवेद्यो यज्ञेश: पुराणपुरुषोत्तम: ।
जानकीवल्लभ: श्रीमानप्रमेय पराक्रम: ॥२३॥
वेदान्त्वेघ, यज्ञेश,पुराण पुरूषोतम , जानकी वल्लभ, श्रीमान और अप्रमेय पराक्रम आदि नामों का
वेदान्त्वेघ, यज्ञेश,पुराण पुरूषोतम , जानकी वल्लभ, श्रीमान और अप्रमेय पराक्रम आदि नामों का
इत्येतानि जपेन्नित्यं मद्भक्त: श्रद्धयान्वित: ।
अश्वमेधाधिकं पुण्यं संप्राप्नोति न संशय: ॥२४॥
नित्यप्रति श्रद्धापूर्वक जप करने वाले को निश्चित रूप से अश्वमेध यज्ञ से भी अधिक फल प्राप्त होता हैं |
नित्यप्रति श्रद्धापूर्वक जप करने वाले को निश्चित रूप से अश्वमेध यज्ञ से भी अधिक फल प्राप्त होता हैं |
रामं दूर्वादलश्यामं पद्माक्षं पीतवाससम् ।
स्तुवन्ति नामभिर्दिव्यैर्न ते संसारिणो नर: ॥२५॥
दूर्वादल के समान श्याम वर्ण, कमल-नयन एवं पीतांबरधारी श्रीराम की उपरोक्त दिव्य नामों से स्तुति करने वाला संसारचक्र में नहीं पड़ता |
रामं लक्शमण पूर्वजं रघुवरं सीतापतिं सुंदरम् ।
काकुत्स्थं करुणार्णवं गुणनिधिं विप्रप्रियं धार्मिकम्
राजेन्द्रं सत्यसंधं दशरथनयं श्यामलं शान्तमूर्तिम् ।
वन्दे लोकभिरामं रघुकुलतिलकं राघवं रावणारिम् ॥२६॥
लक्ष्मण जी के पूर्वज , सीताजी के पति, काकुत्स्थ, कुल-नंदन, करुणा के सागर , गुण-निधान , विप्र भक्त, परम धार्मिक , राजराजेश्वर, सत्यनिष्ठ, दशरथ के पुत्र, श्याम और शांत मूर्ति, सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर, रघुकुल तिलक , राघव एवं रावण के शत्रु भगवान् राम की मैं वंदना करता हूँ |
लक्ष्मण जी के पूर्वज , सीताजी के पति, काकुत्स्थ, कुल-नंदन, करुणा के सागर , गुण-निधान , विप्र भक्त, परम धार्मिक , राजराजेश्वर, सत्यनिष्ठ, दशरथ के पुत्र, श्याम और शांत मूर्ति, सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर, रघुकुल तिलक , राघव एवं रावण के शत्रु भगवान् राम की मैं वंदना करता हूँ |
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे ।
रघुनाथाय नाथाय सीताया: पतये नम: ॥२७॥
राम, रामभद्र, रामचंद्र, विधात स्वरूप , रघुनाथ, प्रभु एवं सीताजी के स्वामी की मैं वंदना करता हूँ |
राम, रामभद्र, रामचंद्र, विधात स्वरूप , रघुनाथ, प्रभु एवं सीताजी के स्वामी की मैं वंदना करता हूँ |
श्रीराम राम रघुनन्दन राम राम ।
श्रीराम राम भरताग्रज राम राम ।
श्रीराम राम रणकर्कश राम राम ।
श्रीराम राम शरणं भव राम राम ॥२८॥
हे रघुनन्दन श्रीराम ! हे भरत के अग्रज भगवान् राम! हे रणधीर, मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ! आप मुझे शरण दीजिए |
श्रीरामचन्द्रचरणौ मनसा स्मरामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ वचसा गृणामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शिरसा नमामि ।
श्रीरामचन्द्रचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥२९॥
मैं एकाग्र मन से श्रीरामचंद्रजी के चरणों का स्मरण और वाणी से गुणगान करता हूँ, वाणी द्धारा और पूरी श्रद्धा के साथ भगवान् रामचन्द्र के चरणों को प्रणाम करता हुआ मैं उनके चरणों की शरण लेता हूँ |
मैं एकाग्र मन से श्रीरामचंद्रजी के चरणों का स्मरण और वाणी से गुणगान करता हूँ, वाणी द्धारा और पूरी श्रद्धा के साथ भगवान् रामचन्द्र के चरणों को प्रणाम करता हुआ मैं उनके चरणों की शरण लेता हूँ |
माता रामो मत्पिता रामचंन्द्र: ।
स्वामी रामो मत्सखा रामचंद्र: ।
सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु ।
नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥३०॥
श्रीराम मेरे माता, मेरे पिता , मेरे स्वामी और मेरे सखा हैं | इस प्रकार दयालु श्रीराम मेरे सर्वस्व हैं. उनके सिवा में किसी दुसरे को नहीं जानता |
श्रीराम मेरे माता, मेरे पिता , मेरे स्वामी और मेरे सखा हैं | इस प्रकार दयालु श्रीराम मेरे सर्वस्व हैं. उनके सिवा में किसी दुसरे को नहीं जानता |
दक्षिणे लक्ष्मणो यस्य वामे तु जनकात्मजा ।
पुरतो मारुतिर्यस्य तं वन्दे रघुनंदनम् ॥३१॥
जिनके दाईं और लक्ष्मण जी, बाईं और जानकी जी और सामने हनुमान ही विराजमान हैं, मैं उन्ही रघुनाथ जी की वंदना करता हूँ |
जिनके दाईं और लक्ष्मण जी, बाईं और जानकी जी और सामने हनुमान ही विराजमान हैं, मैं उन्ही रघुनाथ जी की वंदना करता हूँ |
लोकाभिरामं रनरङ्गधीरं राजीवनेत्रं रघुवंशनाथम् ।
कारुण्यरूपं करुणाकरंतं श्रीरामचंद्रं शरणं प्रपद्ये ॥३२॥
मैं सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर तथा रणक्रीड़ा में धीर, कमलनेत्र, रघुवंश नायक, करुणा की मूर्ति और करुणा के भण्डार की श्रीराम की शरण में हूँ |
मैं सम्पूर्ण लोकों में सुन्दर तथा रणक्रीड़ा में धीर, कमलनेत्र, रघुवंश नायक, करुणा की मूर्ति और करुणा के भण्डार की श्रीराम की शरण में हूँ |
मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये ॥३३॥
जिनकी गति मन के समान और वेग वायु के समान (अत्यंत तेज) है, जो परम जितेन्द्रिय एवं बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, मैं उन पवन-नंदन वानारग्रगण्य श्रीराम दूत की शरण लेता हूँ |
जिनकी गति मन के समान और वेग वायु के समान (अत्यंत तेज) है, जो परम जितेन्द्रिय एवं बुद्धिमानों में श्रेष्ठ हैं, मैं उन पवन-नंदन वानारग्रगण्य श्रीराम दूत की शरण लेता हूँ |
कूजन्तं रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम् ।
आरुह्य कविताशाखां वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ॥३४॥
मैं कवितामयी डाली पर बैठकर, मधुर अक्षरों वाले ‘राम-राम’ के मधुर नाम को कूजते हुए वाल्मीकि रुपी कोयल की वंदना करता हूँ |
मैं कवितामयी डाली पर बैठकर, मधुर अक्षरों वाले ‘राम-राम’ के मधुर नाम को कूजते हुए वाल्मीकि रुपी कोयल की वंदना करता हूँ |
आपदामपहर्तारं दातारं सर्वसंपदाम् ।
लोकाभिरामं श्रीरामं भूयो भूयो नमाम्यहम् ॥३५॥
मैं इस संसार के प्रिय एवं सुन्दर उन भगवान् राम को बार-बार नमन करता हूँ,
जो सभी आपदाओं को दूर करने वाले तथा सुख-सम्पति प्रदान करने वाले
हैं |
भर्जनं भवबीजानामर्जनं सुखसंपदाम् ।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम् ॥३६॥
‘राम-राम’ का जप करने से मनुष्य के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं | वह समस्त सुख-सम्पति तथा ऐश्वर्य प्राप्त कर लेता हैं | राम-राम की गर्जना से यमदूत सदा भयभीत रहते हैं |
‘राम-राम’ का जप करने से मनुष्य के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं | वह समस्त सुख-सम्पति तथा ऐश्वर्य प्राप्त कर लेता हैं | राम-राम की गर्जना से यमदूत सदा भयभीत रहते हैं |
रामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे ।
रामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम: ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोSस्म्यहम् ।
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥३७॥
राजाओं में श्रेष्ठ श्रीराम सदा विजय को प्राप्त करते हैं | मैं लक्ष्मीपति
भगवान् श्रीराम का भजन करता हूँ | सम्पूर्ण राक्षस सेना का नाश करने वाले
श्रीराम को मैं नमस्कार करता हूँ | श्रीराम के समान अन्य कोई आश्रयदाता
नहीं | मैं उन शरणागत वत्सल का दास हूँ | मैं हमेशा श्रीराम मैं ही लीन रहूँ | हे श्रीराम! आप मेरा (इस संसार सागर से) उद्धार करें |
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥३८॥
(शिव पार्वती से बोले –) हे सुमुखी ! राम- नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ के समान हैं | मैं सदा राम का स्तवन करता हूँ और राम-नाम में ही रमण करता हूँ |
(शिव पार्वती से बोले –) हे सुमुखी ! राम- नाम ‘विष्णु सहस्त्रनाम’ के समान हैं | मैं सदा राम का स्तवन करता हूँ और राम-नाम में ही रमण करता हूँ |
इति श्रीबुधकौशिकविरचितं श्रीरामरक्षास्तोत्रं संपूर्णम् ॥
॥ श्री सीतारामचंद्रार्पणमस्तु ॥
JAI SHREE RAM
ReplyDeleteJay siyaram aho bhagya
DeleteJai shree Ram
DeleteJai shree Ram
DeleteThis comment has been removed by the author.
DeleteJay jay shree ram
Deleteबहुत सुन्दर
Deleteसुंदर।
ReplyDeleteराम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम राम
Deleteअतीव सुंदर। जय श्री राम ।
ReplyDeleteकृपया अपना नेक कार्य जारी रखें।
साथ में यदि अन्वय अर्थ दिया जा सके तो और श्रेष्ठ रहेगा।
अतीव सुंदर। जय श्री राम ।
ReplyDeleteकृपया अपना नेक कार्य जारी रखें।
साथ में यदि अन्वय अर्थ दिया जा सके तो और श्रेष्ठ रहेगा।
अति सुन्दर , आपके इस कार्य के लिए आपका आभार ।
ReplyDeleteAlmighty Lord Ram bless us
ReplyDeleteआज पहली बार इस राम रक्षा स्तोत्र को शुरू से अंत तक पढ़ा तो लगा कोई बहुत ही चिर परिचित मन्त्र पढ रहा हूँ । अर्थ मालूम होने से चुम्बकीय आकर्षण हो गया और इसको कई बार दुहराया । इस प्रस्तुति के लिए आपका असीम अभिवादन॥
ReplyDeleteअशोक सोनकर भावसार
ReplyDeleteहनुमान चालीसा,राम रक्षा ये हनुमानजी और प्रभु श्री राम के प्रती दो अती पवित्र ज्वलन्त स्तोत्र है। किन्तू ये दोनो सिध्दीयोभरीत जिते जागते मंत्र है।
राम रक्षा का ईस सुबक अतीप्रीय स्तोत्र निर्माण करके हम भक्तोकी भक्तीके व्दार खुले करदिये तहे दिलसे आपके आभारी है।
अशोक सोनकर भावसार
ReplyDeleteहनुमान चालीसा,राम रक्षा ये हनुमानजी और प्रभु श्री राम के प्रती दो अती पवित्र ज्वलन्त स्तोत्र है। किन्तू ये दोनो सिध्दीयोभरीत जिते जागते मंत्र है।
राम रक्षा का ईस सुबक अतीप्रीय स्तोत्र निर्माण करके हम भक्तोकी भक्तीके व्दार खुले करदिये तहे दिलसे आपके आभारी है।
जय श्री राम
ReplyDeleteati sundar jai shree Raam
ReplyDeleteJai Shree Ram !!!!!!!!! Jai Hanuman!!!!!!!!
ReplyDeleteJai Shri Ram
ReplyDeleteJai Shree RAM
ReplyDeleteमाँ कामाख्या स्तोत्र
ReplyDeleteआज हर व्यक्ति उन्नति, यश, वैभव, कीर्ति, धन-संपदा चाहता है वह भी बिना बाधाओं के। मां कामाख्या देवी का कवच पाठ करने से सभी बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है। आप भी कवच का नित्य पाठ कर अपनी मनोवांछित अभिलाषा पूरी कर सकते हैं।
नारद जी बोले-महेश्वर!महाभय को दूर करने वाला भगवती कामाख्या कवच कैसा है, वह अब हमें बताएं।
महादेव जी बोले-सुरश्रेष्ठ! भगवती कामाख्या का परम गोपनीय महाभय को दूर करने वाला तथा सर्वमंगलदायक वह कवच हैं, जिसकी कृपा तथा स्मरण मात्र से सभी योगिनी, डाकिनीगण, विघ्नकारी राक्षसियां तथा बाधा उत्पन्न करने वाले अन्य उपद्रव, भूख, प्यास, निद्रा तथा उत्पन्न विघ्नदायक दूर से ही पलायन कर जाते हैं। इस कवच के प्रभाव से मनुष्य भय रहित, तेजस्वी तथा भैरवतुल्य हो जाता है। जप, होम आदि कर्मों में समासक्त मन वाले भक्त की मंत्र-तंत्रों में सिद्घि निर्विघ्न हो जाती है।।
मां कामाख्या देवी कवच
कामरूप में निवास करने वाली भगवती तारा पूर्व दिशा में,
पोडशी देवी अग्निकोण में (अर्थात दक्षिण-पूर्व दिशा में) तथा
स्वयं धूमावती दक्षिण दिशा में मेरी रक्षा करें।। 1।।
नैऋत्यकोण में (अर्थात दक्षिण-पश्चिम दिशा में) भैरवी,
पश्चिमदिशा में भुवनेश्वरी और
वायव्यकोण में (अर्थात उत्तर-पश्चिम दिशा में) भगवती महेश्वरी छिन्नमस्ता निरंतर मेरी रक्षा करें।। 2।।
उत्तर दिशा में श्रीविद्यादेवी बगलामुखी तथा
ईशानकोण में (अर्थात उत्तर-पूर्व दिशा में) महात्रिपुर सुंदरी सदा मेरी रक्षा करें।। 3।।
भगवती कामाख्या के शक्तिपीठ में निवास करने वाली मातंगी विद्या ऊर्ध्व भाग में और
भगवती कालिका कामाख्या स्वयं सर्वत्र मेरी नित्य रक्षा करें।। 4।।
ब्रह्मरूपा महाविद्या सर्व विद्यामयी स्वयं दुर्गा सिर की रक्षा करें और
भगवती श्री भवगेहिनी मेरी ललाट की रक्षा करें।। 5।।
त्रिपुरा मेरी दोनों भौंहों की,
शर्वाणी मेरी नासिका की,
देवी चंडिका मेरी दोनों आँखों की तथा
नीलसरस्वती मेरी दोनों कानों की रक्षा करें।। 6।।
भगवती सौम्यमुखी मेरी मुख की,
देवी पार्वती मेरी ग्रीवा की और
जिव्हाललन भीषणा देवी मेरी जिव्हा की रक्षा करें।। 7।।
वाग्देवी मेरी वदन की,
भगवती महेश्वरी मेरी वक्ष:स्थल की,
महाभुजा मेरी दोनों बाहु की तथा
सुरेश्वरी मेरी दोनों हाथ की और दश अंगुलियों की रक्षा करें।। 8।।
भीमास्या मेरी पृष्ठ भाग की,
भगवती दिगम्बरी मेरी कटि प्रदेश की और
महाविद्या महोदरी सर्वदा मेरी उदर की रक्षा करें।।9।।
महादेवी उग्रतारा मेरी जंघा और ऊरुओं की एवं
सुरसुन्दरी मेरी गुदा, अण्डकोश, लिंग तथा नाभि की रक्षा करें।।10।।
भवानी त्रिदशेश्वरी सदा मेरी दोनों पैर की और दश अंगुलियों की रक्षा करें और
देवी शवासना मेरी रक्त, मांस, अस्थि, मज्जा आदि की रक्षा करें।।11।।
भगवती कामाख्या शक्तिपीठ में निवास करनेवाली, महाभय का निवारण करनेवाली देवी महामाया भयंकर महाभय से मेरी रक्षा करें। भस्माचल पर स्थित दिव्य सिंहासन विराजमान रहने वाली श्री कालिका देवी सदा सभी प्रकार के विघ्नों से मेरी रक्षा करें।।12।।
जो स्थान कवच में नहीं कहा गया है, अतएव रक्षा से रहित है उन सबकी रक्षा सर्वदा भगवती सर्वरक्षकारिणी करे।। 13।।
मुनिश्रेष्ठ! मेरे द्वारा आप से महामाया सभी प्रकार की रक्षा करने वाला भगवती कामाख्या का जो यह उत्तम कवच है वह अत्यन्त गोपनीय एवं श्रेष्ठ है।।14।।
इस कवच से रहित होकर साधक निर्भय हो जाता है। मन्त्र सिद्घि का विरोध करने वाले भयंकर भय उसका कभी स्पर्श तक नहीं करते हैं।। 15।।
महामते! जो व्यक्ति इस महान कवच को कंठ में अथवा बाहु में धारण करता है उसे निर्विघ्न मनोवांछित फल मिलता है।। 16।।
वह अमोघ आज्ञावाला होकर सभी विद्याओं में प्रवीण हो जाता है तथा सभी जगह दिनोंदिन मंगल और सुख प्राप्त करता है। जो जितेन्द्रिय व्यक्ति इस अद्भुत कवच का पाठ करता है वह भगवती के दिव्य धाम को जाता है। यह सत्य है, इसमें संशय नहीं है।। 17।।
क्या परमात्मा आज के युग मे इंसान की सुनता है शायद नही , क्योंकि न तो अब वैसे इंसान रहे और न ही भगवान। जो होना वो होगा ही चाहे तुम कुछ भी करलो यही परमात्मा का नियम है , या फिर रावण जितनी शक्ति पाकर सारे नक्षत्रों और ग्रहों को कैद करलो। पर फिर भी जो होना है वो होकर ही रहेगा चाहे कुछ करलो या कुछ भी पढ़ लो।
Deleteराहुल शर्मा
Deleteबगैर आस्था सारे तर्क कुतर्क है
श्रीरामजी का बहुत बड़ा नाम है,,,,माँ भी इनकी सहभागी हैं और ये मत भूल तू बेवकूफ
DeleteJai shri ram
ReplyDeleteJai shree ram
ReplyDeleteJai shree ram
ReplyDeleteसुपर अब पढ़ने की असुध्दियाँ मिट जाएँगी
ReplyDeleteJai Shri Ram
ReplyDeleteJai Shri ram.
ReplyDeleteसीताराम
ReplyDeleteJai shri ram...
ReplyDeleteJay Shri Ram
ReplyDeleteJai shree ram he ram sabko sabudhi de.Sab par Kirpa Banaye Rakhe.
ReplyDeletePrabhuji great presentation
ReplyDeleteJAI SHREE RAM
ReplyDeleteरामो राजमणि: सदा विजयते रामं रमेशं भजे ।
ReplyDeleteरामेणाभिहता निशाचरचमू रामाय तस्मै नम: ।
रामान्नास्ति परायणं परतरं रामस्य दासोSस्म्यहम् ।
रामे चित्तलय: सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥३७
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥३८॥
___/|\___
ReplyDeleteram krapa bni rhe jay shree ram
ReplyDeleteJai mata dip
ReplyDeleteJai mata di
ReplyDeleteJai shri ram
DeleteJai shri ram
DeleteJai Shri ram
ReplyDeleteअतिसुंदर, जय श्री राम
ReplyDelete100℅ true
ReplyDelete100℅ true
ReplyDeleteAwesome.....Really great🙏🙏🙏👌👌👌
ReplyDeleteJai shree Ram
ReplyDeleteजय श्री राम
ReplyDeleteખુબ સરસ
જય શ્રી રામ
ReplyDeleteઆભાર
जय श्री राम
ReplyDeleteजय श्री राम
ReplyDeleteJai Shri Ram
ReplyDeleteRam Raksha stotra Badhkar Sharir ke andar Ek Anubhav alag Hi prapt Hua
ReplyDeleteJai shri ram
DeleteJai shri ram
ReplyDeleteRam.name ke lute hi lute sako to lute sako to lute ante kaal pactuge jab pern jay chot
ReplyDeleteJai shri RAM jai hanuman .. . .jai maa kamakhaya Devi jai Mata di
ReplyDeleteJay shri Ram. Aap sabhi ko. Mera bhi ek blog hai jis par hinduism ke baare me likhta hun. ek baar jarur padhen- https://thehinduprayer.xyz
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteJay Shri Ram. ye mera vlog hai jis par main HInduism ke baare me likhta hu- TheHinduPrayer.xyz
ReplyDeleteJai shri ram
ReplyDeleteजय श्री राम
ReplyDeleteसंसार में इससे अच्छा और कोई भी स्तोत्र नहीं है। जो मन को शांति प्रदान करें ।
ReplyDeleteसंसार में इससे अच्छा और कोई भी स्तोत्र नहीं है। जो मन को शांति प्रदान करें ।
ReplyDeleteJay shri ram
ReplyDelete
ReplyDeleteJai shree ram
Jai Shree Ram
ReplyDeleteJai SHRI RAM
ReplyDeleteJai mere ram..jai shri ram
ReplyDeleteJai Shri Ram
ReplyDeleteRam Stuti
Jai shree Ram
ReplyDeleteJai shree Ram
ReplyDeleteThankyou so much for sharing. Jai Shree Ram
ReplyDeleteJay Shri Ram
ReplyDeleteDhanyabad ji
बहुत अच्छा
ReplyDeleteJai Shree Ram
ReplyDeleteAap Kasto ko har lete hai
Jai Shree Ram
Jai Shree ram. . Sita ram.. Sharan me lijiye prabhu..
ReplyDeleteJai Shree Ram kripa kijiye....
ReplyDeleteJai shree RAM JI ki
ReplyDeleteGugal wakai mei gaagar mei saagar hai
JIsme sachche moti bhi chupi hein.
श्री राम राम राम सिताराम सिताराम सिताराम जय हनुमान
ReplyDeleteJAy Shri ram mere Prabhu Shri ram jab kripa karte hai to patthar bhi Pani me tairate hai
ReplyDeleteRamchandra ki Jay ho.
ReplyDeleteJai shri ram
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद🙏
Thanks
ReplyDeleteJai sri Ram
ReplyDeleteजय श्री सीताराम जी की
ReplyDeleteJai Shri ram
ReplyDeleteJai shree ram
ReplyDeleteJai Shree Ram
ReplyDeleteJai Shree Ram
ReplyDeleteजय श्री राम
ReplyDeleteJai Shri ram
ReplyDeleteJai Shri Ram
ReplyDeleteजय श्री राम
ReplyDeleteJay jay shree ram ram 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteJay shree ram
ReplyDeleteSai Baba Evening Aarti Lyrics
ReplyDeleteJai Shree ram
ReplyDeleteJai Shree ram
ReplyDeleteJai Shree Ram g
ReplyDeleteJai shree ram.... Jai hanuman
ReplyDeleteJay.shree.ram
ReplyDeleteJay jay shree ram
ReplyDeleteJai Shri ram
ReplyDeleteJaibshri ram ����
ReplyDeleteश्री राम जय राम जय जय राम
ReplyDeleteJai siya ram.....
ReplyDeleteJai shree Ram. Hare ram hare ram ram ram Hare hare
ReplyDeleteJai shri Ram
ReplyDeleteJai shri raam g
ReplyDeleteत्रैलोक्यस्वामी रघुकुलतीलक श्रीरामचरनं शरणं प्रपद्ये।।
ReplyDeleteजय जय श्री राम 🙏🙏🙏🙏🙏❤️❤️❤️❤️❤️🌹🌹🌹🌹🌹💕💕💕💕💕🚩🚩🚩🚩🚩💗💗💗💗💗
ReplyDeleteJAi shree राम
ReplyDeleteShri ram prabhu ki jai ho.
ReplyDeleteश्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम
ReplyDeleteश्री राम जय राम जय जय राम श्री राम जय राम जय जय राम
ReplyDeleteRam ram ram ram Sitaram.
ReplyDeleteJay shree ram nice translation
ReplyDeleteTranslate all the stotras to know meaning of stotraa
Jai shri ram
ReplyDeleteश्री राम शरणम मम 🙏🙏🙏🙏🌺🌺🌺🌺🌻🌻🌻🌻
ReplyDeleteOm Sai Ram ji 🙏
ReplyDeleteJay Shree RAM
ReplyDeleteJay Shree RAM
ReplyDeleteJai Shri Ram
ReplyDeleteOm Sai Ram ji 🙏
ReplyDeleteMata sita ki jgah sai ne le li hai
Deleteजय जय सीता राम
ReplyDeleteजय जय सीता राम
ReplyDeleteजय जय सीता राम
ReplyDeleteजय जय सीता राम
ReplyDeleteJai shri Ram
ReplyDeleteJai Shree Ram 🙏🙏🙏🙏🙏
ReplyDeleteJai shri Ram
ReplyDeleteइस स्रोत्र में "जानुओं" की रक्षा करने को भी कहा गया हैं क्या जानुओ और जंघाओं एक ही है ?? या इनका अर्थ भिन्न भिन्न है । सुधिजन कृपया मार्गदर्शन करें
ReplyDeleteJai shree radhekrishna
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर - जय जय श्रीराम
ReplyDeleteकनकधारा स्तोत्र का पाठ करें- https://ajabgajabjankari.com/kanakadhara-stotram/
Shri Ram Jay Ram Jay Jay Ram
ReplyDeletePrabhu Shir Ram Ji jay
Om sai ram g 🙏
ReplyDeleteJai Siyaram
ReplyDeleteजय श्री राम, जय माता जानकी, जय भ्राता हनुमान 🙏🙏🙏
ReplyDeleteजय श्री राम, जय माता जानकी, जय भ्राता हनुमान 🙏🙏🙏
ReplyDeleteजय श्री राम, जय माता जानकी, जय भ्राता हनुमान 🙏🙏🙏
ReplyDeleteराम राम सीताराम राम राम सीता राम
ReplyDeleteRamaraksha Strote
ReplyDeleteShiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram shiree ram
ReplyDeleteJai shree ram
ReplyDeletejai jai
ReplyDeleteजय श्री राम
ReplyDeleteBgggghh
ReplyDeleteK
HAMARI AATMA BHAGWAN SHRI RAMJI AUR MATA SHRI JANKI MAIYAJI KI JAI HO........HAMARE HRIDAY BHAGWAN SHRI HANUMANJI AUR BHAGWAN SHRI LAKSHMANJI KI JAI
ReplyDeleteJAI BHAGWAN SHREE RAMJI .JAI MATA SHRI JAGATJANNI JANKI MAIYAJI ....JAI BHAGWAN SHRI LAKSHMANJI ...JAI BHAGWAN MAHAPRABHU SHRI BAJRANGBALI HANUMANJI MAHARAAJ.....
ReplyDeleteravan,kumbhakaran meghnaad were mere dust particle in front of BHAGWAN SHRI HANUMANJI
Bxbjxnd
ReplyDeleteNnjjjh
Jai Shree ram
ReplyDeleteI would like to thank you for the efforts you have made in writing this article. I am hoping the same best work from you in the future as well. In fact your creative writing abilities has inspired me to start my own Blog Engine blog now. Really the blogging is spreading its wings rapidly. Your write up is a fine example of it 검증사이트
ReplyDeleteAmazing paath.
ReplyDeleteश्री राम जय राम जय जय राम
ReplyDeleteश्री रामरक्षा स्तोत्र मराठी अर्थासहित....
ReplyDeleteश्री रामरक्षा हे दैवी स्तोत्र नीट जाणून घ्या आपल्या भाषेतून....
https://www.shree-dnyanopasana.cf/ramraksha-marathi-arth/
जय श्री राम
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा गया है परंतु एक दो अशुद्धियां हैं
ReplyDeleteJai shree Ram jai shree Ram
ReplyDeletePandit Rudra Ji,the Top Indian Astrologer in Manhattan offers excellent solutions to numerous problems of the people. The services offered by this Best Astrologer in Manhattan work magically to his customers, as he is capable of resolving the problems of them.
ReplyDeleteAstrologer in Manhattan
Jai shri ram
ReplyDeleteJAI SHRI RAM
ReplyDeletehttps://constructive13.blogspot.com/
ReplyDeletedear sir,
ReplyDeleteI hope you are doing well sir, I really like your website and your works and this is very useful for me. I have created a very useful
article for new beginners for knowledge of spirituality or Gyan, sir you will refer to my website link or article on your website so I will be thankful to you.
our website bharamrishi.com
thank your sir please support me because I need your support
Nice Post!!
ReplyDeletePlease look here at Astrologer in Long Beach
Brother i reading your whole Blog and it is such a very helpful for me keep posting like this i will deffinately come again to read your blog. And please must be one look my site. Hanuman Chalisa in Malayalam
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteLalukashyap.blogspot. com
ReplyDeletemantra pdf download
ReplyDeleteविष्णु सहस्त्रनाम पाठ हिंदी में PDF
ReplyDeleteजय श्री राम
ReplyDeleteJay siya ram
ReplyDelete