Friday, March 3, 2023

नाम रामायण - अर्थ सहित हिंदी में



नामरामायण
॥ बालकाण्डः ॥

शुद्धब्रह्मपरात्पर राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो शुद्ध ब्रह्म स्वरुप और श्रेष्ठों से भी श्रेष्ठ है | 

कालात्मकपरमेश्वर राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ सब के काल(गति) के स्वामी है और परमेश्वर कहे जाते है | 

शेषतल्पसुखनिद्रित राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो शेषनाग की शैया पर सुख से सोये हुए है | 

ब्रह्माद्यमरप्रार्थित राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्हे ब्रह्मा सहित अन्य देवताओं ने अवतार लेने के लिए प्रार्थना की थी | 

चण्डकिरणकुलमण्डन राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनसे सूर्यवंश शोभायमान है | 

श्रीमद्दशरथनन्दन राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो दशरथ के नंदन (पुत्र) है | 

कौसल्यासुखवर्धन राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो कौशल्या के सुख की वृद्धि करते है | 

विश्वामित्रप्रियधन राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ ऋषि विश्वामित्र का सबसे प्रिय धन/सम्पदा है | 

घोरताटकाघातक राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने घोर राक्षसी ताटका का वध किया था | 

मारीचादिनिपातक राम । १०
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो मारीच आदि राक्षसों के पतन का कारण थे | 

कौशिकमखसंरक्षक राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने ऋषि विश्वामित्र के यज्ञका रक्षण किया था | 

श्रीमदहल्योद्धारक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने अहल्या का उद्धार किया था | 

गौतममुनिसम्पूजित राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनकी गौतम ऋषि पूजा करते है | 

सुरमुनिवरगणसंस्तुत राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनकी देवों और ऋषियां महिमा गाते है | 

नाविकधावितमृदुपद राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनके मृदु चरणों/पदों को नाविकने पखारा (धावित/धोया) था | 

मिथिलापुरजनमोहक राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ  जिन्होंने मिथिला के पुरजनों का मन मोह लिया था | 

विदेहमानसरञ्जक राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने विदेह (राजा जनक) का मान बढ़ाया था | 

त्र्यम्बककार्मुकभञ्जक राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने त्रि-नेत्र धारी शिव का धनुष तोडा था | 

सीतार्पितवरमालिक राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने सीता द्वारा अर्पित वरमाला पहनी थी | 

कृतवैवाहिककौतुक राम । २० 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनके विवाह के लिए उत्सव सा आयोजन हुआ था | 

भार्गवदर्पविनाशक राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने परशुराम के अहंकार (दर्प) का विनाश किया था | 

श्रीमदयोध्यापालक राम ॥ 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो अयोध्या के पालनहार थे | 

राम राम जय राजा राम । 
राम राम जय सीता राम ॥

॥ अयोध्याकाण्डः ॥

अगणितगुणगणभूषित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो अगणित गुणों से सुशोभित है | 

अवनीतनयाकामित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनको पाने को धरती(अवनि) की पुत्री(सीताजी) इच्छुक थी |

राकाचन्द्रसमानन राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनका मुख पूर्ण चंद्र के समान है | 

पितृवाक्याश्रितकानन राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ  जो अपने पिता के शब्दों को सुनकर वन की आश्रय में चले गए |

प्रियगुहविनिवेदितपद राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनके चरणोमें गुह ने अपने आप को प्रिय सेवक के रूप में समर्पित किया | 

तत्क्षालितनिजमृदुपद राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनके मृदु पदों को गुह ने पखारा था | 

भरद्वाजमुखानन्दक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो ऋषि भरद्वाज के मुख पर आनंद का कारण थे | 

चित्रकूटाद्रिनिकेतन राम । ३०
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने चित्रकूट पर्वत पर वास किया था |  

दशरथसन्ततचिन्तित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने वनवास के दौरान सतत पिता दशरथ की चिंता की थी | 

कैकेयीतनयार्थित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्हे कैकेयी के पुत्र ने वापस लौटने के लिए प्रार्थना की थी | 

विरचितनिजपितृकर्मक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने अपने पिता के अंतिम संस्कार विधि की थी | 

भरतार्पितनिजपादुक राम ॥
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने अपनी पादुका भारत को अर्पण की थी | 

राम राम जय राजा राम ।
राम राम जय सीता राम ॥

॥ अरण्यकाण्डः ॥

दण्डकावनजनपावन राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ  जिन्होंने असुरों का संहार कर के दण्डक वन को पवित्र किया था | 

दुष्टविराधविनाशन राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने दुष्ट विराध का विनाश किया था | 

शरभङ्गसुतीक्ष्णार्चित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनको ऋषि शरभंगा और सुतीक्ष्ण पूजते थे | 

अगस्त्यानुग्रहवर्दित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्हे अगस्त्य ऋषि का अनुग्रह (आशीर्वाद) प्राप्त  था | 

गृध्राधिपसंसेवित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ  जिनकी गिद्धों के राजा (जटायु) सेवा करते थे | 

पञ्चवटीतटसुस्थित राम । ४०
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो नदी तट पर पंचवटी में निवास करते थे | 

शूर्पणखार्त्तिविधायक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने शूर्पणखा के बद इरादों के चलते उस पर वार का आदेश दिया था | 

खरदूषणमुखसूदक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने खर और दूषण के मुखों को नष्ट किया था | 

सीताप्रियहरिणानुग राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो सीता को प्रिय हरण के पीछे गए थे | 

मारीचार्तिकृताशुग राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने अपने बाण से मारीच को उसके कृत्यों के लिए पीड़ा दी थी | 

विनष्टसीतान्वेषक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने खोई सीता को ढूंढने के लिए चाव(जोर देकर) से प्रयास किया था | 

गृध्राधिपगतिदायक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने गिद्धों के राजा (जटायु) को मोक्ष दिया था | 

शबरीदत्तफलाशन राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने शबरी द्वारा अर्पण फल खाए थे | 

कबन्धबाहुच्छेदन राम ॥
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिहोने कबंध की भुजाओं को काट दिया था | 

राम राम जय राजा राम ।
राम राम जय सीता राम ॥

॥ किष्किन्धाकाण्डः ॥

हनुमत्सेवितनिजपद राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनके चरणों में हनुमंत सदैव सेवा के लिए तत्पर रहते है | 

नतसुग्रीवाभीष्टद राम । ५०
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने सुग्रीव के शरण में आने पर उसकी इच्छा पूरी की थी | 

गर्वितवालिसंहारक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ वाली के गर्व का संहार किया था | 

वानरदूतप्रेषक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने वानर को दूत बनाकर भेजा था | 

हितकरलक्ष्मणसंयुत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनका हित चाहने वाले साथ लक्ष्मण हमेंशा उनके साथ रहते थे | 

राम राम जय राजा राम ।
राम राम जय सीता राम ।

॥ सुन्दरकाण्डः ॥

कपिवरसन्ततसंस्मृत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनका वानर श्रेष्ठ हनुमान सतत स्मरण करते है | 

तद्गतिविघ्नध्वंसक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने हनुमान के मार्ग में आनेवाले विघ्नों को ध्वंस किया था | 

सीताप्राणाधारक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो सीता के (बंधक समय में) प्राण का आधार थे | 

दुष्टदशाननदूषित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने दुष्ट दशानन (रावण) की भर्त्सना(निंदा) की थी | 

शिष्टहनूमद्भूषित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने बुद्धिमान और प्रसिद्ध हनुमान की प्रशंसा की थी | 

सीतावेदितकाकावन राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने वन में घटित काकासुर का वृतांत जो सीताजी ने हनुमान जी बताया था वो हनुमान जी से सुना | 

कृतचूडामणिदर्शन राम । ६०
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने हनुमान द्वारा लाई गई सीताजी की चूड़ामणि का दर्शन किया | 

कपिवरवचनाश्वासित राम ॥
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनको वानर श्रेष्ठ हनुमान जी के वचनों से आश्वासन (सीताजी के कुशल होने का ) मिला | 

राम राम जय राजा राम ।
राम राम जय सीता राम ॥

॥ युद्धकाण्डः ॥

रावणनिधनप्रस्थित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने रावण के अंत(निधन) के लिए प्रस्थान किया | 

वानरसैन्यसमावृत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनकी सेनामें वानरभी सम्मिलित थे | 

शोषितशरदीशार्थित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने सागर के देव को मार्ग देने की बिनती की थी अन्यथा सूखा देने का बात कही थी | 

विभीष्णाभयदायक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने विभीषण को अपनी शरण देकर अभय होने का आशीर्वाद दिया था | 

पर्वतसेतुनिबन्धक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने पर्वत की शिलाओं से सागर पर सेतु बनवाया था | 

कुम्भकर्णशिरश्छेदक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने युद्ध में कुम्भकर्ण का शिरच्छेद किया था | 

राक्षससङ्घविमर्धक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने राक्षसों की सेनाको कुचल दिया था | 

अहिमहिरावणचारण राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने महिरावण को पाताल में धंसवा (हनुमान जी द्वारा) दिया था | 

संहृतदशमुखरावण राम । ७०
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने दशमुखी रावण का संहार किया था | 

विधिभवमुखसुरसंस्तुत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनकी ब्रह्मा, शिव और अन्य देवता प्रशंसा करते थे | 

खःस्थितदशरथवीक्षित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनके अलौकिक कार्यों को दशरथने स्वर्ग से देखा था | 

सीतादर्शनमोदित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो सीताजी के दर्शन से (युद्ध के पश्चात ) प्रसन्न हुए थे |  

अभिषिक्तविभीषणनत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनका विभीषणने ( अपने राज्याभिषेक पश्चात ) भक्तिभाव से अभिवादन किया था | 

पुष्पकयानारोहण राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने (अयोध्यागमन के लिए ) पुष्पक विमान में आरोहण किया था | 

भरद्वाजादिनिषेवण राम । 
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने भरद्वाज एवं अन्य ऋषियों से भेंट की थी | 

भरतप्राणप्रियकर राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने (वापस आकर) अनुज भरत के जीवन की खुशियां बढ़ाई थी | 

साकेतपुरीभूषण राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने (वापस आकर) अयोध्या की शोभा बढ़ाई थी | 

सकलस्वीयसमानत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो सभी के साथ अपनेपन और समानभाव से व्यवहार करते थे | 

रत्नलसत्पीठास्थित राम । ८०
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो रत्नजड़ित सिंहासन पर आरूढ़ थे | 

पट्टाभिषेकालंकृत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ  जो अपने राज्यभिषेक के समय मुकुट से अलंकृत थे | 

पार्थिवकुलसम्मानित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने राज्याभिषेक में उपस्थित अन्य राजाओं को उचित सन्मान दिया था | 

विभीषणार्पितरङ्गक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ  जिन्होंने राज्याभिषेक के समय श्री रंगनाथ की मूर्ति विभीषण को भेंट दी थी | 

कीशकुलानुग्रहकर राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ  जिहोने अपने सूर्य वंश पर अपना अनुग्रह बनाए रखा | 

सकलजीवसंरक्षक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ  जो सभी जीवों के संरक्षक है | 

समस्तलोकोद्धारक राम ॥
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ  जो सभी लोकों (पृथ्वी लोक, पाताल लोक, स्वर्ग लोक, गौ लोक आदि) को धारण (एवं पालन) करते है | 

राम राम जय राजा राम ।
राम राम जय सीता राम ॥

॥ उत्तरकाण्डः ॥

आगत मुनिगण संस्तुत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनकी भेंट के लिए आनेवाले सभी मुनिगण प्रशंसा करते थे | 

विश्रुतदशकण्ठोद्भव राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिनकी गाथाए अनेक कंठो से दशों दिशाओं में लोग अनंतकाल तक सुनेंगे | 

सीतालिङ्गननिर्वृत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो सीताजी के आलिंगन से आनंदित थे | 

नीतिसुरक्षितजनपद राम । ९०
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने अपने राज्य को धर्म से चलकर सुरक्षित  किया था | 

विपिनत्याजितजनकज राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने जनकपुत्री (सीता) का जंगल में त्याग किया था | 

कारितलवणासुरवध राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने (अनुज शत्रुघ्न द्वारा) असुर लवणासुर का वध करवाया था | 

स्वर्गतशम्बुक संस्तुत राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ  जिनकी स्वर्ग जा रहे शम्बूक ने प्रशंसा की थी | 

स्वतनयकुशलवनन्दित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ  जिन्होंने अपने पुत्रो लव और कुश को आनंदित किया था | 

अश्वमेधक्रतुदीक्षित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ  जिन्होंने अश्वमेध यज्ञ शुरू करवाया था | 

कालावेदितसुरपद राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ  जिनको स्वयं काल (यम) ने उनके दिव्य गमन के लिए सूचित किया था | 

आयोध्यकजनमुक्तित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जिन्होंने अयोध्यावासियों को मुक्ति (मोक्ष) प्रदान किया था | 

विधिमुखविभुदानन्दक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो ब्रह्मा एवं अन्य देवोंके मुखपर प्रसन्नता का कारण बने थे | 

तेजोमयनिजरूपक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो प्रस्थान से पहले अपने दिव्य तेजोमय रूप में प्रगट हुए थे | 

संसृतिबन्धविमोचक राम । १००
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो जीव को संसार के बंधनो से मुक्त करते है | 

धर्मस्थापनतत्पर राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो हमेंशा धर्म स्थापना के लिए तत्पर रहते है | 

भक्तिपरायणमुक्तिद राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ  जो उनकी भक्ति में समर्पित (परायण) को मुक्ति प्रदान करते है | 

सर्वचराचरपालक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो सभी चर एवं अचर जीवों के पालक है |  

सर्वभवामयवारक राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ जो अपने भक्तों को सभी सांसारिक हानियों से बचा के रखते है | 

वैकुण्ठालयसंस्थित राम ।
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ  जो (अपने प्रस्थान के पश्चात) वैकुण्ठ में विराजमान है | 

नित्यानन्दपदस्थित राम ॥
मैं उस राम की शरण में जाता हूँ (अपने प्रस्थान के पश्चात) जो अपने मूल शाश्वत परम आनंद की स्थिति में स्थापित है | 

राम राम जय राजा राम ॥ 
राम राम जय सीता राम ॥ १०८

इति श्रीलक्ष्मणाचार्यविरचितं नामरामायणं सम्पूर्णम् ।